- जनमत भास्कर छिंदवाड़ा:- छिंदवाड़ा जिले के खजरी निवासी राहुल कुमार वसूले एक ऐसे कृषक हैं जो इंजीनियर और मैनेजमेंट ग्रेजुएट होने और लगभग 15 साल पावर प्लांट में इंजीनियर की नौकरी करने के बाद अंतत: 2018 में नौकरी छोडकर अब प्राकृतिक व गौ आधारित जैविक कृषि और पशुपालन के माध्यम से अत्याधुनिक खेती कर कर रहे हैं।अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष के दृष्टिगत मिलेट्स उत्पादन और मिलेट्स के खाद्य प्रसंस्करण द्वारा नवरत्न आटा बनाने की इकाई लगाई है जिससे उन्हें अपनी एक अलग पहचान मिली है।
03 दिसंबर को नेशनल अवॉर्ड से हुए सम्मानित
01 से 03 दिसंबर 2024 तक आई.ए.आर.आई, मेला ग्राउंड, पूसा,दिल्ली में आयोजित एम.एफ.ओ.आई. अवार्ड सेरेमनी में कृषक राहुल कुमार वसूले को 3 दिसंबर को मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया 2024 के नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। युवाओं के लिए रोल मॉडल बनने और नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित होकर जिले का गौरव बढ़ाने के लिए कलेक्टर शीलेंद्र सिंह एवं उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार ने कृषक श्री वसूले को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
उल्लेखनीय है कि यह मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया अवार्ड का नेशनल अवॉर्ड भारत की प्रमुख कृषि पत्रिका कृषि जागरण, आई.सी.ए.आर, पूसा एवं सभी कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से आयोजित किया गया है।इस प्रकार किसानों का प्रोत्साहन आने वाले भविष्य में कृषि क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति जरूर लाएगा।
पूर्व में भी मिल चुके हैं कई अवॉर्ड
समाज में रसायनों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरुकता फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए कृषक राहुल कुमार वसूले को पूर्व में भी कई अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। 23 सितंबर 2022 को ताज होटल आगरा में आयोजित जैविक इंडिया अवार्ड में उन्हें प्रथम स्थान मिला है,सन 2023 में स्वर्गीय प्रभाकर राव केलकरजी की स्मृति में आयोजित मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का गौ आधारित जैविक कृषि का अवार्ड प्रमुख है।
जैविक खेती के साथ ही करते हैं दुग्ध उत्पादन
कृषक राहुल कुमार वसूले अनाज,सब्जियों व मशरूम उत्पादन के साथ ही दुग्ध उत्पादन का कार्य भी कर रहे हैं,जिससे जिले के अन्य कृषक भी प्रेरित होकर जैविक व प्राकृतिक खेती करने की ओर अग्रसर हो रहे हैं।अत्यंत शिक्षित श्री वसूले एक प्रसिध्द कंपनी में 15 लाख रूपये का पैकेज छोड़कर प्राकृतिक व जैविक कृषि के माध्यम से अब प्रति वर्ष लगभग 1.5 करोड़ रूपये से अधिक का टर्नओवर प्राप्त कर रहे हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा
छिंदवाड़ा के प्रगतिशील कृषक राहुल कुमार वसूले ने बी.टेक और एम.बी.ए. की शिक्षा प्राप्त की है,उन्होंने अपने पिता को पहले कोलोन कैंसर से एवं अपने 3 वर्ष के पुत्र को ब्रेन ट्यूमर से खोया है।ये दो कारण काफी थे उन्हें ये सोचने और समझने के लिए कि इन सब खतरनाक बीमारियों के पीछे की असली वजह रासायनिक खेती से उत्पन्न अनाज और सब्जियां ही हैं,जिससे उनका मन परिवर्तित हुआ और उन्होंने नौकरी छोड़कर जैविक खेती को अपना ध्येय बनाया। जैविक खेती करने के लिये उन्होंने सबसे पहले देश के विभिन्न संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त किया और कृषि विभाग के अधिकारियों व कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन भी प्राप्त किया। जिसमें प्रमुख रूप से रीजनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग,साइंटिफिक वे ऑफ डायरी फार्किंग, मशरूम फार्मिंग, इंडो इसराइल प्रोजेक्ट द्वारा संरक्षित खेती इत्यादि से ट्रेनिंग सम्मिलित है।
कृषि विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं में सहभागिता कर उन्होंने गोबर, गौमूत्र,नीम आदि का उपयोग कर जीवामृत,घनजीवामृत, नीमास्त्र और अन्य जैविक खाद,केंचुआ खाद आदि बनाना सीखा एवं अब अपनी खेती में इसका भरपूर उपयोग कर रहे हैं।उनके पास 10 एकड भूमि है जिसमें वे जैविक खेती कर रहे हैं।खेती में कुछ परिवर्तन और जैविक पध्दति के उपयोग से उनकी वर्तमान स्थिति काफी सुखद है।
जैविक खेती से उगा रहे हैं तरह – तरह की सब्जियां
प्रगतिशील कृषक राहुल कुमार वसूले द्वारा जैविक खेती से विभिन्न सब्जियों टमाटर, फ्रेंचबीन, ब्रोकली, फूलगोभी, तरबूज, ककडी व अन्य सब्जियों की खेती कर विपुल उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है। अनाज में गेंहू, मक्का, तुअर,चना, मूंग, मोठ एवं मोटे अनाजों (मिलेट्स) में ज्वार, बाजरा,रागी आदि की खेती भी की जा रही है। खेती के अलावा पशुपालन व दुग्ध उत्पादन और मशरूम का भी उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान में रबी,खरीफ और जायद तीनों मौसम में वे फसलों से पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। समय-समय पर विभागीय अधिकारियों से मिलकर नवीन तकनीक की जानकारी भी प्राप्त कर उसे कृषि में अपना रहे हैं। जैविक खेती का एक अच्छा परिणाम यह देखने में आया कि अब उनके खेत में काफी संख्या मे केंचुये दिखाई देते हैं, जिससे मृदा की ऊर्वरक क्षमता में भी वृध्दि हुई है और ऑर्गेनिक कार्बन भी बढ़ गया है। आसपास के ग्रामों के किसानों ने उन्हें इस तरह की जैविक खेती करते देखा तो वे भी काफी प्रभावित हुये हैं और अब कुछ रकबे में रसायन मुक्त खेती कर रहे हैं।
अंतर्राज्यीय स्तर पर कर रहे हैं निर्यात
कृषक राहुल कुमार वसूले द्वारा उत्पादित गेहूं, चना व मूंग, ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी आदि और गुड़ का पाउडर एवं हल्दी व मिर्ची का पाउडर का अंतर्राज्यीय स्तर पर गुड़गांव, नोयडा, पुणे, मुंबई, नागपुर आदि क्षेत्रों में निर्यात किया जा रहा है। ये सभी वस्तुयें पी. जी. एस. सर्टिफाइड जैविक वस्तुयें हैं, जिनकी अत्यधिक मांग है। इस कार्य से लगभग 25 से 30 व्यक्तियों को भी रोजगार मिला है,उन्होंने श्रीराम जैविक कृषक समूह भी बनाया है जिससे लगभग 600 से 700 किसान जुड़े हैं,जिनसे वे बाय बैक एग्रीमेंट करके मार्केट वैल्यू से ज्यादा दाम देकर कृषकों का अनाज खरीदते हैं। वे जिले की सभी 13 तहसीलों में जाते हैं, और इन सभी किसानों से जीवंत संपर्क बनाकर उन्हें निरंतर जैविक खेती के लिये प्रेरित करते हैं तथा उनके द्वारा उत्पादित फसलों की मार्केटिंग के लिये भी उन्हें आश्वस्त करते हैं जिससे उन्हें उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो सके।
जैविक खेती से आई समृद्धि और खुशहाली
वर्तमान में कृषक राहुल कुमार वसूले की पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति काफी अच्छी है। उनके परिवार में हमेशा उनके निर्णयों का समर्थन करने वाली उनकी मां श्रीमती नीलिमा रामकुमार वसूले के साथ ही उनकी पत्नी स्नेहल और बेटा कार्तिक तथा उनका छोटा भाई विशाल वसूले,उनकी पत्नी रूपाली व बेटे आण्विक के साथ संयुक्त परिवार में रहते हैं। उनका छोटा भाई विशाल वसूले आदित्य बिरला ग्रुप में मैनेजर के पद पर आसीन है। छोटे भाई और संपूर्ण परिवार का उन्हें कृषि कार्य में पूर्ण सहयोग मिलने के कारण वे पूरे मन से रसायनमुक्त अमृतुल्य अनाज उत्पादन में लगे हुए हैं।
रसायनमुक्त नवरत्न आटे से मिली अलग पहचान
कृषक राहुल कुमार वसूले वर्तमान में जैविक नवरत्न आटे की प्रसंस्करण इकाई भी संचालित कर रहे हैं। इस नवरत्न आटे में ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, मोठ, काला गेहूं, चना, तुअर और शरबती गेहूं का मल्टीग्रेन आटा कोल्ड प्रेस के माध्यम से पीसा जाता है, जिससे आटे में पोशाक तत्व बरकरार रहते है। जो अनाज इस आटे में उपयोग किए जाते हैं, वे पूर्णतः गौ आधारित जैविक कृषि द्वारा उगाए जाते हैं जो भी किसान गौ आधारित जैविक कृषि करते हुए श्री वसूले से जुड़ते हैं उनसे वे बाय बैंक एग्रीमेंट के जरिए यह अनाज की खरीदी करके इस रसायनमुक्त आटे में प्रयोग करते हैं। इस आटे में प्रिजर्वेटिव नहीं मिले होते हैं, जिसके कारण भी नवरत्न आटे ने ग्राहकों के पसंदीदा आटे के रूप में अपना नाम स्थापित किया है।
अन्य लोगों को भी दे रहे रोजगार
रसायनमुक्त नवरत्न आटा तैयार करने के लिये उन्होंने लगभग 35 लाख रूपये की कार्ययोजना तैयार की और भारतीय स्टेट बैंक की कृषि शाखा छिंदवाड़ा से ऋण प्राप्त किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसान हित में चलायी जा रही पी.एम.एफ.एम.ई. योजना एवं सरकार की किसानों के प्रति सकारात्मक सोच का फायदा भी इन्हें भरपूर मिला। इस खाद्य प्रसंस्करण यूनिट की स्थापना से क्षेत्र के लगभग 50 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला है। श्री वसूले कहते हैं कि जैविक व प्राकृतिक कृषि का यह कार्य मेरे लिये संतोषप्रद है तथा कृषि विभाग के अधिकारियों और वैज्ञानिकों का उचित मार्गदर्शन निरंतर प्राप्त होता है। जिला प्रशासन, प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज चौहानजी एवं विशेषतः प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के प्रति धन्यवाद प्रेषित करता हूं, जिन्होंने किसान हित में नीतियां बनाईं और जिनकी मदद से मुझ जैसे कृषक कृषि को एक नए आयाम तक पहुंचाने में समर्थ हो रहे हैं।