वीतराग भवन में चल रहे नियमित प्रवचन
जनमत भास्कर छिंदवाड़ा:-भादों सुदी पंचमी से सकल दिगंबर जैन समाज विविध अनुष्ठानों के साथ दशलक्षण महापर्व पर धर्माराधना करते हुए आत्म साधना में सलग्न हैं,जिसमे प्रातः काल की मंगल बेला पर श्री जिनेन्द्र पूजन,दशलक्षण पूजन विधान कर वीतरागी देव – निर्ग्रंथ गुरु एवं दयामय मां जिनवाणी की भक्ति भाव पूर्वक पूजन कर उन जैसा बनने का पुरुषार्थ कर रहा है।
इस अवसर पर नगर के अहिंसा स्थली गोल गंज स्थित श्री आदिनाथ दिगंबर जिनालय में दिगंबर जैन मुमुक्षु मंडल एवं अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के जिनशासन सेवकों द्वारा क्रमशःउत्तम क्षमा,मार्दव एवं आर्जव धर्म की आराधना कर वीतराग भवन में उदयपुर से पधारे पंडितश्री राजकुमारजी शास्त्री के श्रीमुख से मां जिनवाणी का रसास्वादन किया।
तृतीय दिवस के शुभ दिन आर्जव धर्म पर प्रवचन करते हुए उन्होंने कहा कि विकारों पर विजय प्राप्त करने की यात्रा है दशलक्षण महापर्व। हम सब संसार के घटना क्रमों में इतना उलझ गए हैं कि हमे स्वयं के लिए भी समय नहीं मिलता,प्रातः काल से रात्रि विश्राम तक सिर्फ और सिर्फ विकारों के माध्यम से संसार को बढ़ाने का क्रम जारी है और यह क्रम 365 दिन ही नही हमारी जितनी उम्र हो गई और अनादि काल से क्रमशः जारी है।
इन सभी विकारों पर विजय प्राप्त करने के लिए महान पुण्योदय से यह पर्वराज आया है जिसका नाम है दशलक्षण महापर्व जो पूर्णताःदिगंबर मुनिराजों को प्रगट होता है। उन्होंने कहा कि इन विकारों पर विजय प्राप्त करने का एक ही माध्यम हैं मां जिनवाणी का नियमित एवं क्रमशः स्वाध्याय करना,जो हमारे महान पुण्योदय से उपलब्ध भी है, जिसे जगत के जीवों पर करुणा करके दिगंबर जैनाचार्यों द्वारा हमारे लिए लिखा गया है,जिसमे संसार के दुख एवं मोक्ष के सुख का वर्णन है,आवश्यक है समय निकाल कर उन महान ग्रंथों का स्वाध्याय करने की।
सुंदर साहित्यिक कार्यक्रमों का क्रम जारी
फेडरेशन सचिव दीपक राज जैन ने बताया कि धर्माराधना के साथ बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करने के मुख्य उद्देश्य से रात्रि कालीन प्रवचनों के पश्चात वीतराग भवन में विविध साहित्यिक गतिविधियां जारी हैं जिसमे अभी तक सुंदर लघु नाटिका,ये जोड़ी है कमाल की सहित कल्प वृक्ष की छांव तले की सुंदर प्रस्तुति दी गई जिसका सफल संचालन ऊषाकिरण जैन,वर्षा पाटनी, आर्या जैन एवं जूली पाटनी द्वारा किया गया।कल भादों सुदी अष्टमी के शुभ दिन उत्तम शौच धर्म की आराधना की जावेगी साथ ही साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग्य एवं पुरुषार्थ प्रतियोगिता का आयोजन वीतराग भवन में किया गया है।